भाषा एवं साहित्य >> मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 2 मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 2रमेशचन्द्र महरोत्रा
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सशक्त अभिव्यक्ति के लिए समर्थ हिंदी...
Manak Hindi Ke Shuddh Prayog 2 - A Hindi Book - by Ramesh Chandra Mahrotra
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इस नए ढंग के व्यवहार-कोश में पाठकों को अपनी हिंदी निखारने के लिए हज़ारों शब्दों के बारे में बहुपक्षीय भाषा-सामग्री मिलेगी। इस में वर्तनी की व्यवस्था मिलेगी, उच्चारण के संकेत-बिंदु मिलेंगे-व्युत्पत्ति पर टिप्पणियाँ मिलेंगी, व्याकरण के तथ्य मिलेंगे-सूक्ष्म अर्थभेद मिलेंगे, पर्याय और विपर्याय मिलेंगे-संस्कृत का आशीर्वाद मिलेगा, उर्दू और अँगरेज़ी का स्वाद मिलेगा-प्रयोग के उदाहरण मिलेंगे, शुद्ध-अशुद्ध का निर्णय मिलेगा।
पुस्तक की शैली ललित निबंधात्मक है इस में कथ्य को समझाने और गुत्थियों को सुलझाने के दौरान कठिन और शुष्क अंशों को सरल और रसयुक्त बनाने के लिहाज़ से मुहावरों, लोकोक्तियों लोकप्रिय गानों की लाइनों, कहानी-क़िस्सों, चुटकुलों और व्यंग्य का भी सहारा लिया गया है। नमूने देखिए-स्त्रीलिंग ‘दाद’ (प्रशंसा) सबको अच्छी लगती है पर पुल्लिंग ‘दाद’(चर्मरोग) केवल चर्मरोग के डॉक्टरों को अच्छा लगता है। मैल, मैला, मलिन’ सब ‘मल’ के भाई-बंधु हैं।...(‘साइकिल’ को) ‘साईकील’ लिखनेवाले महानुभाव तो किसी हिंदी-प्रेमी के निश्चित रूप से प्राण ले लेंगे-दुबले को दो असाढ़ !.. अरबी का ‘नसीब’ भी ‘हिस्सा’ और ‘भाग्य’ दोनों हैं। उदाहरण-आप के नसीब में खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। (जब कि मेरे नसीब में मेरी पत्नी हैं।)
यह पुस्तक हिन्दी के हर वर्ग और स्तर के पाठक के लिए उपयोगी है।
पुस्तक की शैली ललित निबंधात्मक है इस में कथ्य को समझाने और गुत्थियों को सुलझाने के दौरान कठिन और शुष्क अंशों को सरल और रसयुक्त बनाने के लिहाज़ से मुहावरों, लोकोक्तियों लोकप्रिय गानों की लाइनों, कहानी-क़िस्सों, चुटकुलों और व्यंग्य का भी सहारा लिया गया है। नमूने देखिए-स्त्रीलिंग ‘दाद’ (प्रशंसा) सबको अच्छी लगती है पर पुल्लिंग ‘दाद’(चर्मरोग) केवल चर्मरोग के डॉक्टरों को अच्छा लगता है। मैल, मैला, मलिन’ सब ‘मल’ के भाई-बंधु हैं।...(‘साइकिल’ को) ‘साईकील’ लिखनेवाले महानुभाव तो किसी हिंदी-प्रेमी के निश्चित रूप से प्राण ले लेंगे-दुबले को दो असाढ़ !.. अरबी का ‘नसीब’ भी ‘हिस्सा’ और ‘भाग्य’ दोनों हैं। उदाहरण-आप के नसीब में खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। (जब कि मेरे नसीब में मेरी पत्नी हैं।)
यह पुस्तक हिन्दी के हर वर्ग और स्तर के पाठक के लिए उपयोगी है।
‘अंकुश’ और ‘नियंत्रण’
‘अंक का अर्थ (अन्य जाने-पहचाने विविध अर्थों के साथ) ‘हुक-जैसा टेढ़ा-मेढ़ा उपकरण‘ है तथा ‘अंकुश’ का अर्थ ‘हाथी को हाँकने के लिए महावत द्वारा प्रयुक्त छोटे भाले की तरह का दोमुँहा अँकुड़ा’ है इसी कारण ‘अंकुशधारी’ का अर्थ ‘हाथीवान’ है। (‘अंक’ और ‘अंकुश’ में ‘अंक्’ धातु है जिसका अर्थ है ‘टेढ़ा-मेढ़ा चलना’।)
आलंकारिक अर्थ में ‘अंकुश’ से किसी भी स्वच्छंदता और स्वेच्छाचारिता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध या रोक का भाव प्रकट होता है। उदाहरण-‘कुमार्ग पर चलनेवाले बच्चों की ग़लत गतिविधियों पर ‘अंकुश’ लगाना ज़रूरी होता है।’’
निरंकुश व्यक्ति मनमानी करता है। एक ओर, अत्याचारी शासक को ‘निरंकुश’ कहा जाता है; दूसरी ओर, कवियों को भी ‘निरंकुश’ कहा जा चुका है- ‘निरकुंश: कवय:, अर्थात् कवियों पर कोई बंधन नहीं होता, वे नियंत्रण से मुक्त होते हैं।’’
‘नियंत्रण’ में ‘यंत्र्’ (निग्रह करना) है और उस का अर्थ ‘नियमों में बाँध कर रखने या वश में रखने की स्थिति’ है। इस में भी ‘स्वच्छंद न रहने और वर्जित गतिविधियों पर बंधन लगाए रखने का भाव’ रहता है। उदाहरण- ‘‘सरकार गेहूँ के भाव पर ‘नियंत्रण’ रखे और आप अपने भोजन की मात्रा पर ‘नियंत्रण’ रखें।’’
विश्वविद्यालयों में एक पद-परीक्षा-नियंत्रक का होता है, जो प्राय: परीक्षाओं पर ‘नियंत्रण’ नहीं रख पाता है !
‘नियंत्रण’ से ‘अंकुश’ कुछ तगड़ा पड़ता है (क्योंकि मूलत: वह एक हथियार है)। ‘‘आप अपने पान-तंबाकू के खर्च पर ‘नियंत्रण’ रखें’’ का मतलब है कि आप अपनी इस लत पर थोड़ा-बहुत खर्च कर सकते हैं, लेकिन ‘‘आप अपने पान-तंबाकू के ख़र्च पर ‘अंकुश रखें’’ का मतलब यह निकलेगा कि आप को इस लत पर किए जाने वाले ख़र्च की पूरी छुट्टी करनी पड़ेगी।
अंत में दो सवाल। स्कूटर की स्पीड पर नियंत्रण होना चाहिए या अंकुश ? अश्लील फिल्मों के प्रदर्शन पर अंकुश होना चाहिए या नियंत्रण ?
आलंकारिक अर्थ में ‘अंकुश’ से किसी भी स्वच्छंदता और स्वेच्छाचारिता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध या रोक का भाव प्रकट होता है। उदाहरण-‘कुमार्ग पर चलनेवाले बच्चों की ग़लत गतिविधियों पर ‘अंकुश’ लगाना ज़रूरी होता है।’’
निरंकुश व्यक्ति मनमानी करता है। एक ओर, अत्याचारी शासक को ‘निरंकुश’ कहा जाता है; दूसरी ओर, कवियों को भी ‘निरंकुश’ कहा जा चुका है- ‘निरकुंश: कवय:, अर्थात् कवियों पर कोई बंधन नहीं होता, वे नियंत्रण से मुक्त होते हैं।’’
‘नियंत्रण’ में ‘यंत्र्’ (निग्रह करना) है और उस का अर्थ ‘नियमों में बाँध कर रखने या वश में रखने की स्थिति’ है। इस में भी ‘स्वच्छंद न रहने और वर्जित गतिविधियों पर बंधन लगाए रखने का भाव’ रहता है। उदाहरण- ‘‘सरकार गेहूँ के भाव पर ‘नियंत्रण’ रखे और आप अपने भोजन की मात्रा पर ‘नियंत्रण’ रखें।’’
विश्वविद्यालयों में एक पद-परीक्षा-नियंत्रक का होता है, जो प्राय: परीक्षाओं पर ‘नियंत्रण’ नहीं रख पाता है !
‘नियंत्रण’ से ‘अंकुश’ कुछ तगड़ा पड़ता है (क्योंकि मूलत: वह एक हथियार है)। ‘‘आप अपने पान-तंबाकू के खर्च पर ‘नियंत्रण’ रखें’’ का मतलब है कि आप अपनी इस लत पर थोड़ा-बहुत खर्च कर सकते हैं, लेकिन ‘‘आप अपने पान-तंबाकू के ख़र्च पर ‘अंकुश रखें’’ का मतलब यह निकलेगा कि आप को इस लत पर किए जाने वाले ख़र्च की पूरी छुट्टी करनी पड़ेगी।
अंत में दो सवाल। स्कूटर की स्पीड पर नियंत्रण होना चाहिए या अंकुश ? अश्लील फिल्मों के प्रदर्शन पर अंकुश होना चाहिए या नियंत्रण ?
‘अंत’ और ‘सीमा’
‘‘हम लोग गप्पें मारते हुए खेत के ‘अंत’ तक पहुँच गए हैं’’ और ‘‘हम लोग गप्पें मारते हुए खेत की ‘सीमा’ तक पहुँच गए हैं’’ का एक ही मतलब है। इसी प्रकार, ‘‘आप की बुद्धि का कोई ‘अंत’ नहीं है’’ और ‘‘आप की बुद्धि की कोई ‘सीमा’ नहीं है’’ का भी एक ही मतलब है।
शब्दकोशों में ‘अंत’ और ‘सीमा’ के ‘छोर, मर्यादा, किनारा, सरहद’ आदि कई समान अर्थ मिलते हैं। पर दूसरी ओर, इन की अपनी-अपनी अर्थ-सीमा एक-दूसरे की अर्थ सीमा से बहुत अलग भी है। यह बात इन के प्रयोगों से आसानी से सिद्ध की जा सकेगी :-
‘‘हम एक निश्चित सीमा से अधिक वज़न नहीं उठा सकते’’ और ‘‘आप की साली मज़ाक करने में कभी-कभी सीमा से बाहर चली जाती है’’- जैसे उदाहरणों में सीमा’ की जगह ‘अंत’ रख कर देखिए और अर्थ का कबाड़ा कीजिए।
इस का उलटा भी इतना ही सही है। उदाहरण के लिए, ‘‘पता नहीं, इस सीरियल का ‘अंत’ कैसा होगा’’ और ‘‘अंत भला, सो सब भला’’ में ‘अंत’ की जगह ‘सीमा’ रख देने से अपेक्षित अर्थ की पर्याप्त दुर्गति हो जाती है।
‘अंत’ किसी बात का परिणाम या किसी एक क्षेत्र का चरम बिन्दु होता है, जब की ‘सीमा’ किन्हीं दो क्षेत्रों के बीच में उन के विभाजन-स्थल पर स्थित हो सकती है। भौगोलिक और राजनैतिक सीमा प्राय: इसी प्रकार की होती है। किसी साम्राज्य के ‘अंत’ और उस की ‘सीमा’ में अर्थ-विरोध साफ़-साफ़ देखा जा सकता है।
एक उदाहरण और-‘‘नेताओं को आश्वासन देने के पहले अपनी ‘सीमाएँ’ देख लेनी चाहिए, अन्यथा उन के राजनैतिक कैरियर का ‘अंत’ दिखाई पड़ने लगता है।’’
‘अंत’ में रद्दी चीज़ है; वह किसी का नाम नहीं रखा जाता। ‘सीमा’ अच्छी चीज़ है; लोग अपनी बेटी का नाम ‘सीमा’ शौक़ से रख लेते हैं।
‘अंत’ ‘सीमा’ से आगे की चीज़ है- भले ही लेशमात्र। वह कैसे ? वह ऐसे कि कई बार ‘सीमा’ का भी ‘अंत’ होता है।
इस लेख की सीमा यहीं तक थी। अब इस का अंत हो गया।
शब्दकोशों में ‘अंत’ और ‘सीमा’ के ‘छोर, मर्यादा, किनारा, सरहद’ आदि कई समान अर्थ मिलते हैं। पर दूसरी ओर, इन की अपनी-अपनी अर्थ-सीमा एक-दूसरे की अर्थ सीमा से बहुत अलग भी है। यह बात इन के प्रयोगों से आसानी से सिद्ध की जा सकेगी :-
‘‘हम एक निश्चित सीमा से अधिक वज़न नहीं उठा सकते’’ और ‘‘आप की साली मज़ाक करने में कभी-कभी सीमा से बाहर चली जाती है’’- जैसे उदाहरणों में सीमा’ की जगह ‘अंत’ रख कर देखिए और अर्थ का कबाड़ा कीजिए।
इस का उलटा भी इतना ही सही है। उदाहरण के लिए, ‘‘पता नहीं, इस सीरियल का ‘अंत’ कैसा होगा’’ और ‘‘अंत भला, सो सब भला’’ में ‘अंत’ की जगह ‘सीमा’ रख देने से अपेक्षित अर्थ की पर्याप्त दुर्गति हो जाती है।
‘अंत’ किसी बात का परिणाम या किसी एक क्षेत्र का चरम बिन्दु होता है, जब की ‘सीमा’ किन्हीं दो क्षेत्रों के बीच में उन के विभाजन-स्थल पर स्थित हो सकती है। भौगोलिक और राजनैतिक सीमा प्राय: इसी प्रकार की होती है। किसी साम्राज्य के ‘अंत’ और उस की ‘सीमा’ में अर्थ-विरोध साफ़-साफ़ देखा जा सकता है।
एक उदाहरण और-‘‘नेताओं को आश्वासन देने के पहले अपनी ‘सीमाएँ’ देख लेनी चाहिए, अन्यथा उन के राजनैतिक कैरियर का ‘अंत’ दिखाई पड़ने लगता है।’’
‘अंत’ में रद्दी चीज़ है; वह किसी का नाम नहीं रखा जाता। ‘सीमा’ अच्छी चीज़ है; लोग अपनी बेटी का नाम ‘सीमा’ शौक़ से रख लेते हैं।
‘अंत’ ‘सीमा’ से आगे की चीज़ है- भले ही लेशमात्र। वह कैसे ? वह ऐसे कि कई बार ‘सीमा’ का भी ‘अंत’ होता है।
इस लेख की सीमा यहीं तक थी। अब इस का अंत हो गया।
‘अख़बार’ और ‘गज़ट’
संस्कृत-काल से ‘समाचार’ (‘सम्’+‘आचार’) का अर्थ ‘सदाचार, सद्व्यवहार, प्रगति, आगे बढ़ना’ भी चलता आया है और ‘सूचना, विवरण, वार्ता, ख़बर’ भी। हिन्दी के मध्यकाल में ‘कार्य-व्यापार की सूचना’ के अर्थ में इस का प्रयोग तुलसीदासजी ने इस प्रकार किया था-‘‘समाचार मिथिलापाति पाए।’’ वर्तमान संदर्भ में यह अपने सब से व्यापक अर्थ में ऐसी घटना की सूचना है, जिस के बारे में लोगों को जानकारी न हो।
‘‘कहिए, क्या समाचार हैं’’ में ‘समाचार’ का मतलब ‘हाल-चाल’ है। ‘‘ठीक समाचार हैं’’ का मतलब ‘‘कुशल-मंगल है’’ है।
‘‘समाचारपत्र’ समाचारों का कागज़ या काग़जों का स्वयं में पूर्ण एक पुंज है, जिस के लिए अरबी का शब्द ‘अख़बार’ है। ‘अख़बार’ शब्द ‘ख़बर’ का बहुवचन है, अर्थात् उसका शाब्दिक अर्थ ‘ख़बरें’ है।
‘अख़बारनवीस’ पत्रकार को कहते हैं, क्योंकि फ़ारसी में ‘नवीस’ के माने हैं ‘लिखनेवाला’। ‘नवीस’ यौगिक शब्दों में उत्तरपद के रूप में ही प्रयुक्त होता है। इस के लिए एक उदाहरण देखिए-‘‘अर्ज़ीनवीस (‘‘अर्ज़ी’ अरबी का), अर्थात् अर्जी़ लिखने वाला या उसे लिखने का पेशा करनेवाला।’’
अरबी में ‘नवीस’ को ‘कातिब’ और ‘मुहर्रिर’ कहते हैं-मुहर्रिर साहब ‘मुंशी जी’ भी कहलाते हैं। ‘मुंशी’ (लेखक, लिपिक, आदि) भी अरबी भाषा का शब्द है।
कुछ लोग ‘गज़ट’ (अँगरेज़ी ‘गज़ॅट’ से) का प्रयोग ‘अख़बार के पर्याय के रूप में करते हैं। अँगरेज़ी में भी इस का एक अर्थ सीधा-सीधा ‘न्यूज़पेपर’ है। पर अन्यथा इँगलैंड में यह विज्ञप्तियों और सूचनाओं से युक्त कोई कार्याकालीन प्रकाशन है। हिंदी में भी यह अधिक प्रचलित अर्थ में ‘सरकारी विज्ञप्तियों वाला अख़बार’ है। ‘गज़’ से ‘गज़टेड’ ऑफ़िसर’ को जोड़िए, जो गज़ट में घोषित और सूचीबद्ध अफ़सर होता है।
‘गज़ट’ अँगरेज़ी में फ्रांसीसी से और उस में इटैलियन से पहुँचा है। इटैलियन में ‘गज़ेटा’ एक छोटे सिक्के का नाम है। सोलहवीं शताब्दी में वेनिस की सरकार की मासिक घोषणाएँ सुनने के लिए इकट्ठे हुए व्यक्तियों से एक-एक गज़ेटा फ़ीस के रूप में लिया जाता था। बाद में इटैलियन में अख़बार के मूल्य को भी गज़ेटा कहा जाने लगा।
‘‘कहिए, क्या समाचार हैं’’ में ‘समाचार’ का मतलब ‘हाल-चाल’ है। ‘‘ठीक समाचार हैं’’ का मतलब ‘‘कुशल-मंगल है’’ है।
‘‘समाचारपत्र’ समाचारों का कागज़ या काग़जों का स्वयं में पूर्ण एक पुंज है, जिस के लिए अरबी का शब्द ‘अख़बार’ है। ‘अख़बार’ शब्द ‘ख़बर’ का बहुवचन है, अर्थात् उसका शाब्दिक अर्थ ‘ख़बरें’ है।
‘अख़बारनवीस’ पत्रकार को कहते हैं, क्योंकि फ़ारसी में ‘नवीस’ के माने हैं ‘लिखनेवाला’। ‘नवीस’ यौगिक शब्दों में उत्तरपद के रूप में ही प्रयुक्त होता है। इस के लिए एक उदाहरण देखिए-‘‘अर्ज़ीनवीस (‘‘अर्ज़ी’ अरबी का), अर्थात् अर्जी़ लिखने वाला या उसे लिखने का पेशा करनेवाला।’’
अरबी में ‘नवीस’ को ‘कातिब’ और ‘मुहर्रिर’ कहते हैं-मुहर्रिर साहब ‘मुंशी जी’ भी कहलाते हैं। ‘मुंशी’ (लेखक, लिपिक, आदि) भी अरबी भाषा का शब्द है।
कुछ लोग ‘गज़ट’ (अँगरेज़ी ‘गज़ॅट’ से) का प्रयोग ‘अख़बार के पर्याय के रूप में करते हैं। अँगरेज़ी में भी इस का एक अर्थ सीधा-सीधा ‘न्यूज़पेपर’ है। पर अन्यथा इँगलैंड में यह विज्ञप्तियों और सूचनाओं से युक्त कोई कार्याकालीन प्रकाशन है। हिंदी में भी यह अधिक प्रचलित अर्थ में ‘सरकारी विज्ञप्तियों वाला अख़बार’ है। ‘गज़’ से ‘गज़टेड’ ऑफ़िसर’ को जोड़िए, जो गज़ट में घोषित और सूचीबद्ध अफ़सर होता है।
‘गज़ट’ अँगरेज़ी में फ्रांसीसी से और उस में इटैलियन से पहुँचा है। इटैलियन में ‘गज़ेटा’ एक छोटे सिक्के का नाम है। सोलहवीं शताब्दी में वेनिस की सरकार की मासिक घोषणाएँ सुनने के लिए इकट्ठे हुए व्यक्तियों से एक-एक गज़ेटा फ़ीस के रूप में लिया जाता था। बाद में इटैलियन में अख़बार के मूल्य को भी गज़ेटा कहा जाने लगा।
‘अच्छा’ और ‘भला’
> ये दो शब्द एक-दूसरे के विपरीत भी सिद्ध किए जा सकते हैं, क्योंकि ‘अच्छा’ का एक अर्थ ‘हाँ’ है और ‘भला’ का एक अर्थ ‘नहीं है; उदाहरण के लिए, ‘‘आप वहाँ चले जाइए’’ के उत्तर में ‘अच्छा’ का मतलब ‘हाँ’ है और ‘आप भला क्यों जाएँगे’’ या ‘‘आप वहाँ जाएँगे भला’’ में ‘भला’ का अर्थ ‘नहीं’ है।
‘अच्छा’ को संज्ञा के रूप में देखिए- ‘‘आप ने अच्छे-अच्छों को ठीक कर दिया है।’’ विशेषण के रूप में ‘अच्छा’ का अर्थ बहुत-सी दिशाओं में ‘बढ़िया’ है। कभी यह ‘सकुशल’ है (उदाहरण-कैसे हो ?- अच्छा हूँ); कभी यह नीरोग’ है (उदाहरण-वह अस्पताल से अच्छा हो कर आ गया); कभी यह ‘स्वास्थ्यप्रद’ है (उदाहरण-जलवायु अच्छा है।) ‘‘आप मुझे अच्छे लगने लगे’’ के ‘अच्छे’ में ‘प्रेमी’ के सब गुण’ मौजूद हैं।
‘अच्छा’ और ‘अच्छे’ क्रियाविशेषण का भी काम करते हैं। उदाहरण-‘‘आप ने मुझे अच्छी मुसीबत में डाल दिया’’ और ‘‘आप यहाँ अच्छे आ गए।’’
‘अच्छा’ के माने आश्चर्यसूचक ‘अरे’ भी है (उदाहरण-अच्छा, आप वो हैं) और ‘ख़ैर’ भी (उदाहरण-अच्छा, ठीक है, देखा जाएगा)।
‘भला’ की संज्ञा, विशेषण’ और अव्यय है। ‘‘कर भला, हो भला’’, ‘‘भगवान् आप का भला करें’’, और ‘‘जो दे, उसका भी भला; जो न दे, उस का भी भला’’ में यह ‘कल्याण’ का अर्थ दे रहा है।
‘‘आप भले आदमी हैं’’ और ‘‘बात भली लगे या बुरी’’ में यह ‘बढ़िया’-वाची है।
‘‘भला क्या कहने हैं आप के’’, ‘‘भला कोई बात भी तो हो’’, और ‘तुम वहाँ भले न जाओ, मैं तो जाऊँगा’’ में ‘भला’ और ‘भले’ अव्यय हैं।
‘अच्छा’ और ‘भला’ दोनों संस्कृत के पालने में खेल कर बड़े हुए हैं। संस्कृत के ‘अच्छक’ और ‘अच्छ’ (प्राकृत में ‘अच्छअ’) ‘अच्छा’ के पूर्वज हैं और ‘भद्रक’ (प्राकृत में ‘भल्लअ’) ‘भला’ का पूर्वज है। मराठी और पंजाबी में भी ‘भला’ है। बंगाली में यह ‘भाल (भालो)’ है, सिंधी में ‘भलो’ है, और गुजराती में भलू’ है।
‘अच्छा’ की तुलना में ‘अच्छा-भला’ कम अच्छा है। ‘अच्छा’ पूरा-पूरा अच्छा है, जब कि ‘अच्छा-भला’ कामचलाऊ अच्छा है, संतोषजनक अच्छा है। ‘‘आप अच्छा-भला गा रहे थे। (आप को श्रोताओं ने बेकार ही हूट कर दिया)।’’
‘अच्छा’ को संज्ञा के रूप में देखिए- ‘‘आप ने अच्छे-अच्छों को ठीक कर दिया है।’’ विशेषण के रूप में ‘अच्छा’ का अर्थ बहुत-सी दिशाओं में ‘बढ़िया’ है। कभी यह ‘सकुशल’ है (उदाहरण-कैसे हो ?- अच्छा हूँ); कभी यह नीरोग’ है (उदाहरण-वह अस्पताल से अच्छा हो कर आ गया); कभी यह ‘स्वास्थ्यप्रद’ है (उदाहरण-जलवायु अच्छा है।) ‘‘आप मुझे अच्छे लगने लगे’’ के ‘अच्छे’ में ‘प्रेमी’ के सब गुण’ मौजूद हैं।
‘अच्छा’ और ‘अच्छे’ क्रियाविशेषण का भी काम करते हैं। उदाहरण-‘‘आप ने मुझे अच्छी मुसीबत में डाल दिया’’ और ‘‘आप यहाँ अच्छे आ गए।’’
‘अच्छा’ के माने आश्चर्यसूचक ‘अरे’ भी है (उदाहरण-अच्छा, आप वो हैं) और ‘ख़ैर’ भी (उदाहरण-अच्छा, ठीक है, देखा जाएगा)।
‘भला’ की संज्ञा, विशेषण’ और अव्यय है। ‘‘कर भला, हो भला’’, ‘‘भगवान् आप का भला करें’’, और ‘‘जो दे, उसका भी भला; जो न दे, उस का भी भला’’ में यह ‘कल्याण’ का अर्थ दे रहा है।
‘‘आप भले आदमी हैं’’ और ‘‘बात भली लगे या बुरी’’ में यह ‘बढ़िया’-वाची है।
‘‘भला क्या कहने हैं आप के’’, ‘‘भला कोई बात भी तो हो’’, और ‘तुम वहाँ भले न जाओ, मैं तो जाऊँगा’’ में ‘भला’ और ‘भले’ अव्यय हैं।
‘अच्छा’ और ‘भला’ दोनों संस्कृत के पालने में खेल कर बड़े हुए हैं। संस्कृत के ‘अच्छक’ और ‘अच्छ’ (प्राकृत में ‘अच्छअ’) ‘अच्छा’ के पूर्वज हैं और ‘भद्रक’ (प्राकृत में ‘भल्लअ’) ‘भला’ का पूर्वज है। मराठी और पंजाबी में भी ‘भला’ है। बंगाली में यह ‘भाल (भालो)’ है, सिंधी में ‘भलो’ है, और गुजराती में भलू’ है।
‘अच्छा’ की तुलना में ‘अच्छा-भला’ कम अच्छा है। ‘अच्छा’ पूरा-पूरा अच्छा है, जब कि ‘अच्छा-भला’ कामचलाऊ अच्छा है, संतोषजनक अच्छा है। ‘‘आप अच्छा-भला गा रहे थे। (आप को श्रोताओं ने बेकार ही हूट कर दिया)।’’
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